15 August 2014

सरहद की एक बर्फ़ीली रात और सहमा हुआ हिरण...

कार्ट-व्हील और समर-सॉल्ट करती हुयी धड़कनों...इन रातों की धड़कनों का कोई पैमाना नहीं है | दुनिया की सर्वश्रेष्ट ईसीजी मशीनें भी शायद समर्पण कर दे जो कभी मापने आये इन धड़कनों को | उस रात जब बर्फ़ की सफ़ेद चादर पर उतराती हुई गहरी धुंध ने बस थोड़ी देर के लिए अपना परदा उठाया था और छलांगे लगता
हुआ हिरण–प्रजाति का मझौले कद वाला वो शावक खौफ़ और आतंक की नई परिभाषा लिखता हुआ आ छुपा था एक बंकर में, रात की ये बेलगाम धड़कनें अपने सबसे विकराल रूप में उसकी सहमी आँखों में नृत्य कर रही थीं | तेंदुये का चार सदस्यी वाला छोटा सा परिवार उस शावक को अपना आहार बनाने के लिए सरहद पर लगे कँटीले बाड़ों के उस पार हौले-हौले गुर्रा रहा था और उलझन में था कि अपने आहार पर हक़ जमाने के लिये राइफल लिये खड़े सरहद-प्रहरियों से भिड़ना ठीक होगा कि नहीं | उनकी जानिब बर्फ़ के उलीचे गए चंद गोलों ने तत्काल ही तेंदुये परिवार की तमाम उलझनों को दरकिनार कर दिया और वापस लौट गए वो चारों नीचे जंगल में
बंकर के कोने में सिमटा हुआ शावक अपनी धौंकनी की तरह चढ़ती-उतरती साँसों पर काबू पाते हुये मानो दुनिया भर की निरीहता अपनी बड़ी-बड़ी आँखों में समेट लाया था | लेकिन उसे कहाँ खबर थी कि उनके रक्षक बने सरहद-प्रहरी, विगत पाँच महीनों से भयानक बर्फबारी की वजह से बंद हो आए सारे रास्तों की बदौलत बस बंध-गोभी और मटर खा-खा कर तंग हो आयी अपनी जिह्वा पर नए स्वाद का लेप चढ़ाने के लिए उसे भूखी निगाहों से घूर रहे थे | छोटे से रेडियो-सेट पर प्रहरियों के सरदार को संदेशा भेजा गया | सरदार बड़ी देर तक उलझन में रहा था...रात की समर-सॉल्ट करती हुयी धड़कनें अचानक से बैक-फ्लिप करने लगी थीं |
बड़ी देर तक बर्फ़ में दबे-घिरे उस बंकर में चुप्पी पसरी रही और फिर उसी पसरी हुई चुप्पी को चौंकाती सी आवाज़ उभरी सरदार की सख़्त ताकीद के साथ कि उस शावक को छोड़ दिया जाये | सरदार का बड़ा ही सुलझा हुआ सा तर्क था कि जो तुम्हारी
शरण में ख़ुद अपनी प्राण-रक्षा के लिए आया हो, उसी का भक्षण कैसे कर सकते हो | भिन्नाये से प्रहरियों को आदेश ना मानने जैसा कोई विकल्प दिया ही नहीं था उनकी वर्दी ने | अब तक शांत और निश्चिंत हो आए शावक को पहले तो बंध-गोभी के खूब सारे पत्ते खिलाये गए और फिर उसे बड़े स्नेह और लाड़ के साथ सरहद के अपनी तरफ वाले जंगल में छोड़ दिया गया |
सरहद पर की वो बर्फ़ीली रात अब मुसकुराती हुयी सुबह को आवाज़ दे रही थी...